ख़ावर लुधियानवी
ग़ज़ल 1
अशआर 1
ये मेरे जज़्ब-ए-निहाँ का है मोजज़ा शायद
कि दिल में झाँक के देखूँ तो तू ही तू निकले
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere