ख़्वाजा हसन असकरी
अशआर 1
बारिश के बा'द रात सड़क आइना सी थी
इक पाँव पानियों पे पड़ा चाँद हिल गया
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere