चराग़-ए-बज़्म तिरी मंसबी है कितनी देर ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
वक़्त अजीब आ गया मंसब-ओ-जाह के लिए ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
ऐसा कर सकते थे क्या कोई गुमाँ तुम और मैं ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
वक़्त अजीब आ गया मंसब-ओ-जाह के लिए ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
सर-निगूँ दिल की तरह दस्त-ए-दुआ हो भी चुके ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
Recitation
join rekhta family!
You have exhausted 5 free content pages per year. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.