कृष्ण मोहन
ग़ज़ल 32
नज़्म 34
अशआर 9
वो क्या ज़िंदगी जिस में जोशिश नहीं
वो क्या आरज़ू जिस में काविश नहीं
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ज़िंदगी के आख़िरी लम्हे ख़ुशी से भर गया
एक दिन इतना हँसा वो हँसते हँसते मर गया
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कृष्ण 'मोहन' ये भी है कैसा अकेला-पन कि लोग
मौत से डरते हैं मैं तो ज़िंदगी से डर गया
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मकाँ अंदर से ख़स्ता हो गया है
और इस में एक रस्ता हो गया है
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पुस्तकें 29
चित्र शायरी 1
चाहतों का जहान है उर्दू राहतों का निशान है उर्दू इश्क़ का ए'तिबार और वक़ार हुस्न की आन-बान है उर्दू दिल-फ़ज़ा ज़ौ-कदा सबाहत का और मलाहत की कान है उर्दू नस्र का है ख़िराम-ए-ख़ुश-हंगाम शाइरी की उड़ान है उर्दू ज़िंदा है अपना ज़ौक़-ओ-शौक़ इस से आरज़ूओं की जान है उर्दू लुत्फ़ हस्ती का रंग मस्ती का ख़ुशनुमा कारवान है उर्दू ज़िक्र-ए-आराइश-ए-ख़म-ए-काकुल कैफ़-ए-हिन्दोस्तान है उर्दू दफ़्तर-ए-इत्तिहाद-ओ-यक-जेहती प्यार की दास्तान है उर्दू एकता है अनेकता में भी दोस्त-दारी का मान है उर्दू 'ग़ालिब'-ओ-'मीर' इस के शैदा थे जिन की रूह-ए-रवान है उर्दू 'आतिश' ओ 'मोमिन' ओ 'नज़ीर' ओ 'जिगर' जिन की रंगीं ज़बान है उर्दू इस के आशिक़ 'नसीम' और चकबस्त जिन के जज़्बों की शान शान है उर्दू दोस्त इस के 'सुरूर' और 'सरशार' इस लिए शादमान है उर्दू दर्द-मंद इस के 'प्रेमचंद' रहे जिन के बाइ'स जवान है उर्दू इस के मुश्ताक़ 'मुल्ला' और 'फ़िराक़' जिन के दिल का बयान है उर्दू नारा-ज़न 'जोश' का ख़रोश इस में जोश की तर्जुमान है उर्दू 'फ़ैज़' ओ 'इक़बाल' ओ कृष्ण-चंदर से वुसअत-ए-बे-करान है उर्दू धूम 'महरूम' की हुई इस में और 'मुनव्वर' की आन है उर्दू 'राशिद' ओ 'मीरा-जी' की अलबेली शोख़-अदा राज़दान है उर्दू फ़ितनत-ओ-फ़न की दौलत-ए-बेदार 'कृष्ण-मोहन' की जान है उर्दू