महबूब अज़मि के शेर
मौक़ूफ़ है क्यूँ हश्र पे इंसाफ़ हमारा
क़िस्सा जो यहाँ का है तो फिर तय भी यहीं हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिल और शम्अ दोनों बराबर हैं सोख़्ता
उठता है किस जगह से धुआँ देखते रहो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड