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महबूब ज़फ़र

1956

महबूब ज़फ़र

ग़ज़ल 2

 

अशआर 3

निगाह पड़ने पाए यतीम बच्चों की

ज़रा छुपा के खिलौने दुकान में रखना

ख़ुदा का शुक्र है गिर्दाब से निकल आया

मैं उस के हल्क़ा-ए-अहबाब से निकल आया

बहुत दिनों से हिसार-ए-तिलिस्म-ए-ख़्वाब में था

तिलिस्म टूट गया ख़्वाब से निकल आया

 

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