महमूद अयाज़
ग़ज़ल 15
नज़्म 18
अशआर 10
लफ़्ज़ ओ मंज़र में मआनी को टटोला न करो
होश वाले हो तो हर बात को समझा न करो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो नहीं है न सही तर्क-ए-तमन्ना न करो
दिल अकेला है इसे और अकेला न करो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
चाँद ख़ामोश जा रहा था कहीं
हम ने भी उस से कोई बात न की
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
शम-ए-शब-ताब एक रात जली
जलने वाले तमाम उम्र जले
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जीने वालों से कहो कोई तमन्ना ढूँडें
हम तो आसूदा-ए-मंज़िल हैं हमारा क्या है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए