aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1902 - 1953 | कराची, पाकिस्तान
मिरा आना जहाँ में मुनहसिर था तीन बातों पर
जफ़ा सहना वफ़ा करना और उस के बाद मर जाना
इश्क़ की फ़ितरत ने यूँ बदला मज़ाक़-ए-ज़िंदगी
जितने ग़म बढ़ने लगे उतनी ख़ुशी होने लगी
इश्क़ की अल्लाह रे फ़ित्ना-कारियाँ
पाक-दामन चाक-दामन हो गए
जला आशियाँ जब से दिल मुतमइन है
न बिजली का ख़तरा न धड़का ख़िज़ाँ का
पर्दा है इक बक़ा का राज़-ए-फ़ना न पूछो
मर कर भी साथ हम से छूटा न ज़िंदगी का
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