Makhmoor Saeedi's Photo'

मख़मूर सईदी

1938 - 2010 | दिल्ली, भारत

प्रमुख आधुनिक शायर / पत्रिका तहरीक से संबंधित थे

प्रमुख आधुनिक शायर / पत्रिका तहरीक से संबंधित थे

मख़मूर सईदी

ग़ज़ल 32

नज़्म 4

 

अशआर 21

हो जाए जहाँ शाम वहीं उन का बसेरा

आवारा परिंदों के ठिकाने नहीं होते

मैं उस के वादे का अब भी यक़ीन करता हूँ

हज़ार बार जिसे आज़मा लिया मैं ने

  • शेयर कीजिए

बुतों को पूजने वालों को क्यूँ इल्ज़ाम देते हो

डरो उस से कि जिस ने उन को इस क़ाबिल बनाया है

  • शेयर कीजिए

सुर्ख़ियाँ ख़ून में डूबी हैं सब अख़बारों की

आज के दिन कोई अख़बार देखा जाए

घर में रहा था कौन कि रुख़्सत करे हमें

चौखट को अलविदा'अ कहा और चल पड़े

दोहा 6

साफ़ बता दे जो तू ने देखा है दिन रात

दुनिया के डर से रख दिल में दिल की बात

  • शेयर कीजिए

कौन मुसाफ़िर कर सका मंज़िल का दीदार

पलक झपकते खो गए राहों के आसार

  • शेयर कीजिए

डूबने वालों पर कसे दुनिया ने आवाज़े

साहिल से करती रही तूफ़ाँ के अंदाज़े

  • शेयर कीजिए

कुछ कहने तक सोच ले बद-गो इंसान

सुनते हैं दीवारों के भी होते हैं कान

  • शेयर कीजिए

तन्हा तू रह जाएगा कोई होगा साथ

जैसे ही ये लोग हैं पकड़ इन्ही का हाथ

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 355

चित्र शायरी 5

 

वीडियो 5

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
chal pade hain to kahiin ja ke thaharna hoga

मख़मूर सईदी

Laut kar apni taraf aa jaaun

मख़मूर सईदी

Reading his poetry

मख़मूर सईदी

Wo barf hoon main tuu mujhe chhoo le to pighal jaoon

मख़मूर सईदी

ऑडियो 12

कसक पुराने ज़माने की साथ लाया है

ग़म ओ नशात की हर रहगुज़र में तन्हा हूँ

जानिब-ए-कूचा-ओ-बाज़ार न देखा जाए

Recitation

संबंधित शायर

"दिल्ली" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए