मनोज अज़हर के शेर
यूँ चार दिन की बहारों के क़र्ज़ उतारे गए
तुम्हारे बअ'द के मौसम फ़क़त गुज़ारे गए
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रात बे-सुध हो के सोएगी यहाँ
इस लिए सूरज ने पर्दा कर लिया
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