Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Mansoor Khushtar's Photo'

मंसूर ख़ुशतर

1986 | दरभंगा, भारत

मंसूर ख़ुशतर

ग़ज़ल 14

अशआर 7

किसी से सरगुज़िश्त-ए-ग़म बयाँ करता हूँ जब अपनी

कहानी वो सरासर आप की मालूम होती है

तवज्जोह आप फ़रमाएँ अगर तो

कुछ हम भी अर्ज़ करना चाहते हैं

था जो इक काफ़िर मुसलमाँ हो गया

पल में वीराना गुलिस्ताँ हो गया

नाज़-ओ-अंदाज़ की क़ीमत है तिरे मेरे सबब

किस की महफ़िल में भला और ग़ज़ब ढाओगे

यक़ीं कर कि मैं तुझ से भी ज़ियादा चाहता उस को

जो मेरे जैसा तेरा और कोई क़द्र-दाँ होता

लेख 1

 

पुस्तकें 33

"दरभंगा" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए