मरयम ग़ज़ाला
ग़ज़ल 4
नज़्म 2
अशआर 6
झील के ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंक कर
दायरा उठती हुई लहरों का हम देखा किए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere