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मसलिहुद्दी अहमद असीर काकोरवी

मसलिहुद्दी अहमद असीर काकोरवी

अशआर 9

रूह की गहराइयों में डूब कर देखा करो

एक धोका है नज़र का ये सरासर सामने

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फ़िल्म की गर्दिश से तस्वीरें बदलती ही रहीं

उम्र-ए-रफ़्ता का आया फिर वो मंज़र सामने

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रूह है महव-ए-तमन्ना हुस्न है मस्त-ए-तरब

इक नियाज़-ओ-नाज़ का बरपा है महशर सामने

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अदा-ए-हुस्न ने बख़्शी है ताक़त-ए-परवाज़

हवा-ए-शौक़ में उड़ता हूँ बाल-ओ-पर सही

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दिल कि है सरमाया-दार-ए-इज़्ज़त नामूस-ए-हुस्न

है यही मरकज़ यही है दायरा मेरे लिए

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