aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Mazhar Mirza Jaan-e-Janaan's Photo'

मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ

1699 - 1781 | दिल्ली, भारत

मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ

ग़ज़ल 5

 

अशआर 8

ख़ुदा के वास्ते इस को टोको

यही इक शहर में क़ातिल रहा है

ये हसरत रह गई क्या क्या मज़े से ज़िंदगी करते

अगर होता चमन अपना गुल अपना बाग़बाँ अपना

रुस्वा अगर करना था आलम में यूँ मुझे

ऐसी निगाह-ए-नाज़ से देखा था क्यूँ मुझे

  • शेयर कीजिए

जो तू ने की सो दुश्मन भी नहीं दुश्मन से करता है

ग़लत था जानते थे तुझ को जो हम मेहरबाँ अपना

इतनी फ़ुर्सत दे कि रुख़्सत हो लें सय्याद हम

मुद्दतों इस बाग़ के साये में थे आज़ाद हम

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 10

 

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 3

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना

मेहदी हसन

चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना

ख़ुर्शीद बेगम

हम ने की है तौबा और धूमें मचाती है बहार

मेहदी हसन

ऑडियो 5

उस गुल को भेजना है मुझे ख़त सबा के हाथ

चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना

तजल्ली गर तिरी पस्त ओ बुलंद उन को न दिखलाती

Recitation

"दिल्ली" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए