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मीर सोज़

1721 - 1798 | दिल्ली, भारत

मीर सोज़ के ऑडियो

ग़ज़ल

अगर मैं जानता है इश्क़ में धड़का जुदाई का

फ़सीह अकमल

अपने नाले में गर असर होता

फ़सीह अकमल

जितना कोई तुझ से यार होगा

फ़सीह अकमल

जिस का तुझ सा हबीब होवेगा

फ़सीह अकमल

जो हम से तू मिला करेगा

फ़सीह अकमल

तू हम से जो हम-शराब होगा

फ़सीह अकमल

तिरा हम ने जिस को तलबगार देखा

फ़सीह अकमल

नासेहो दिल किस कने है किस को समझाते हो तुम

फ़सीह अकमल

मोहब्बत मुँह पे करना और दिल में बेवफ़ाई है

फ़सीह अकमल

हुस्न की गर ज़कात पाऊँ मैं

फ़सीह अकमल

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