मीर ज़ियाउद्दीन ज़िया
ग़ज़ल 1
अशआर 4
कौन से ज़ख़्म का खुला टाँका
आज फिर दिल में दर्द होता है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
भूल कर भी कभी न याद किया
हम तिरे जी से ऐसे भूल गए
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
जम्अ' कर के दर्द सारे तू ने पैदा दिल किया
कह तू ऐ दस्त-ए-क़ज़ा इस से क्या हासिल किया
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
रुस्वाइयों की अपनी मुझे कुछ हवस नहीं
नासेह प क्या करूँ कि मिरा दिल पे बस नहीं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए