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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Misdaque Azmi's Photo'

मिस्दाक़ आज़मी

1973 | आज़मगढ़, भारत

मिस्दाक़ आज़मी

ग़ज़ल 16

नज़्म 7

अशआर 5

ख़ुशनुमा मंज़र भी सब धुंधले नज़र आते हैं यार

जब दिलों में भी उतर जाती है सहराओं की ख़ाक

फ़क़त मिलना-मिलाना कम हुआ है

हमारी दोस्ती टूटी नहीं है

ग़ार वालों की तरह निकला है वो कमरे से आज

उस को इस दुनिया की तब्दीली का अंदाज़ा नहीं

इक तबस्सुम का भरम आबाद होंटों पर किए

जी रहे हैं लोग अपनी अपनी वीरानी के साथ

मिरे मूनिस ग़म-ख़्वार मुझे मरने दे

बात अब हुक्म की तामील तक पहुँची है

क़ितआ 8

नस्री-नज़्म 1

 

चित्र शायरी 1

 

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