aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1902 - 1958 | लाहौर, पाकिस्तान
प्रगतिशील आंदोलन के अगुआ, पत्रिका " कारवां " के संपादक, इंग्लैंड से अंग्रेज़ी में डॉक्टरेट की उपाधि लेने वाले इस उपमहाद्वीप के पहले साहित्यकार
जिस तरह हम ने रातें काटी हैं
उस तरह हम ने दिन गुज़ारे हैं
दावर-ए-हश्र मिरा नामा-ए-आमाल न देख
इस में कुछ पर्दा-नशीनों के भी नाम आते हैं
मेरी वफ़ाएँ याद करोगे
रोओगे फ़रियाद करोगे
हमें भी देख कि हम आरज़ू के सहरा में
खिले हुए हैं किसी ज़ख़्म-ए-आरज़ू की तरह
रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम
एक दरिया के दो किनारे हैं
Aatish Kada
Maqalat-e-Taseer
1978
Nasr-e-Taseer
1963
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