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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Mohammad Rafi Sauda's Photo'

मोहम्मद रफ़ी सौदा

1713 - 1781 | दिल्ली, भारत

18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन

18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन

मोहम्मद रफ़ी सौदा के ऑडियो

ग़ज़ल

अपने का है गुनाह बेगाने ने क्या किया

फ़सीह अकमल

गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी

फ़सीह अकमल

नासेह को जेब सीने से फ़ुर्सत कभू न हो

फ़सीह अकमल

बेचैन जो रखती है तुम्हें चाह किसू की

फ़सीह अकमल

मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का

फ़सीह अकमल

यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश

फ़सीह अकमल

वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं

फ़सीह अकमल

हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का

फ़सीह अकमल

हिन्दू हैं बुत-परस्त मुसलमाँ ख़ुदा-परस्त

फ़सीह अकमल

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