मोहम्मद तन्वीरुज़्ज़मां के शेर
सच बता इश्क़ मुझे सख़्त परेशाँ हूँ मैं
क्यूँ ख़फ़ा होता नहीं दोस्त ख़ता पर मेरी
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जब तुम्हारी आरज़ू बाक़ी नहीं
दिल धड़कता है न जाने के लिए
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