मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान के शेर
फिर जवानी है अभी कुछ है लड़कपन उन का
दो दग़ा-बाज़ों के फंदे में है जोबन उन का
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क्या जानिए क्या लुत्फ़ है चिलमन के इधर आज
जाती है तो फिर कर नहीं आती है नज़र आज
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