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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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मोहसिन ज़ैदी

1935 - 2003 | लखनऊ, भारत

बहराइच में जन्मे जाने माने प्रगतिशील शयर / फ़िराक़ के शागिर्द

बहराइच में जन्मे जाने माने प्रगतिशील शयर / फ़िराक़ के शागिर्द

मोहसिन ज़ैदी के ऑडियो

ग़ज़ल

अगर चमन का कोई दर खुला भी मेरे लिए

नोमान शौक़

कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है

नोमान शौक़

कोई दीवार न दर जानते हैं

नोमान शौक़

ज़माने भर की ज़िल्लत सामने थी

नोमान शौक़

ठहरे हुए न बहते हुए पानियों में हूँ

नोमान शौक़

नक़्श पानी पे बनाया क्यूँ था

नोमान शौक़

यूँ समझ लो कि ब-जुज़ नाम-ए-ख़ुदा कुछ न रहा

नोमान शौक़

रस्ते में कोई आ के इनाँ-गीर हो न जाए

नोमान शौक़

हमें तो ख़ैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगता

नोमान शौक़

हर रोज़ नया हश्र सर-ए-राहगुज़र था

नोमान शौक़

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