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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मुबारक अज़ीमाबादी

1896 - 1959 | पटना, भारत

बिहार के प्रमुख उत्तर-क्लासिकी शायर

बिहार के प्रमुख उत्तर-क्लासिकी शायर

मुबारक अज़ीमाबादी

ग़ज़ल 35

अशआर 76

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं

दिल नहीं वो दिल नहीं वो दिल नहीं

तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं

तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया

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रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद

बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता

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मुझ को मालूम है अंजाम-ए-मोहब्बत क्या है

एक दिन मौत की उम्मीद पे जीना होगा

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फूल क्या डालोगे तुर्बत पर मिरी

ख़ाक भी तुम से डाली जाएगी

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पुस्तकें 1

 

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