मुबारक अ’ज़ीमाबादी, मुबारक हुसैन (1849-1958)‘दाग़’ देहलवी के शागिर्द थे मगर उनकी शाइ’र में मौजूद व्यंग की एक अन्दरूनी लहर उसे एक अलग पहचान देती है। फ़ारसी में भी शे’र कहते थे। आख़िरी बरसों में माली दुश्वारियों में घिर गए और इसी हालत में वफ़ात हुई।
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