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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मुख़तसर आज़मी

1939 - 2009 | आज़मगढ़, भारत

मुख़तसर आज़मी के शेर

बी-ए में पढ़ रहा है ये नॉलिज का हाल है

नक़्शे में लखनऊ को कहे कानपूर है

बेटे में चाहे लाख ख़राबी हो 'मुख़्तसर'

शादी के वक़्त बाइ'स-ए-इन्कम ज़रूर है

मैं रो रहा हूँ ये तो जहाँ से चला गया

अपनी बला को मेरे गले से लगा गया

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