मुनीर सुल्तानपुरी के शेर
मुद्दत से मैं सफ़र में हूँ वहम-ओ-गुमाँ के साथ
ये रास्ता तमाम फ़रेब-ए-नज़र न हो
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere