मुंशी तोता राम शायाँ के शेर
मिस्री करे नबात तिरे लब के रू-ब-रू
क्या कहिए किस क़दर तिरा शीरीं कलाम है
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रहम-दिल हम सा कहाँ मय-कदा-ए-आलम में
आँख भर आईं जो जाते कहीं साग़र देखा
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