मुशताक़ सदफ़
ग़ज़ल 15
अशआर 1
हाथ जो खोला तो बच्चा रो पड़ा
बंद मुट्ठी में कोई सिक्का न था
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere