मुज़फ़्फ़र वारसी
ग़ज़ल 40
नज़्म 3
अशआर 17
ख़ुद मिरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई
आईना तो साफ़ है तस्वीर धुँदली हो गई
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जभी तो उम्र से अपनी ज़ियादा लगता हूँ
बड़ा है मुझ से कई साल तजरबा मेरा
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हम करें बात दलीलों से तो रद होती है
उस के होंटों की ख़मोशी भी सनद होती है
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नअत 2
पुस्तकें 14
वीडियो 6
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