मुज़म्मिल अब्बास शजर
ग़ज़ल 8
अशआर 5
हम ने भी ज़ुल्मतों को मिटाया है अपने तौर
सूरज के साथ साथ हमारा दिया भी है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere