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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मुज़्तर इलाहाबादी

1855 - 1931

मुज़्तर इलाहाबादी

अशआर 1

तू अपने साथ साथ में पर्दा-नशीं को भी

रुस्वा करेगा दिल-ए-ख़ाना-ख़राब क्या

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