नख़्शब जार्चवि के शेर
वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझे
ये और बात है कि हँसी आ गई मुझे
कोई किस तरह राज़-ए-उल्फ़त छुपाए
निगाहें मिलीं और क़दम डगमगाए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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