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नासिर काज़मी

1925 - 1972 | लाहौर, पाकिस्तान

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के संस्थापकों में से एक। भारत के शहर अंबाला में पैदा हुए और पाकिस्तान चले गए जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के संस्थापकों में से एक। भारत के शहर अंबाला में पैदा हुए और पाकिस्तान चले गए जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।

नासिर काज़मी

ग़ज़ल 111

अशआर 86

अब वो यादों का चढ़ता दरिया फ़ुर्सतों की उदास बरखा

यूँही ज़रा सी कसक है दिल में जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो

नींद आती नहीं तो सुबह तलक

गर्द-ए-महताब का सफ़र देखो

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भरी दुनिया में जी नहीं लगता

जाने किस चीज़ की कमी है अभी

ये कह के छेड़ती है हमें दिल-गिरफ़्तगी

घबरा गए हैं आप तो बाहर ही ले चलें

वो शहर में था तो उस के लिए औरों से भी मिलना पड़ता था

अब ऐसे-वैसे लोगों के मैं नाज़ उठाऊँ किस के लिए

पुस्तकें 55

चित्र शायरी 32

वीडियो 58

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

नासिर काज़मी

गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल

नासिर काज़मी

तू असीर-ए-बज़्म है हम-सुख़न तुझे ज़ौक़-ए-नाला-ए-नय नहीं

नासिर काज़मी

दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया

नासिर काज़मी

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए

नासिर काज़मी

ऑडियो 58

अपनी धुन में रहता हूँ

अपनी धुन में रहता हूँ

अव्वलीं चाँद ने क्या बात सुझाई मुझ को

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