नवल राय वफ़ा के शेर
इश्क़ ने कसरत से जा की मुझ दिल-ए-बेताब में
आ भरा दरिया-ए-आतिश क़तरा-ए-सीमाब में
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हुस्न-ए-अमल पे अपने न भूल इस क़दर कि शैख़
वाँ के मुआ'मले से किसी को ख़बर नहीं
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