नाज़िश प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल 10
नज़्म 11
अशआर 6
गुज़र गए हैं वो लम्हे भी इश्क़ में ऐ दोस्त
तिरे बग़ैर भी जब ख़ुश रहे हैं दीवाने
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere