नज़्मी सिकंदराबादी
ग़ज़ल 8
अशआर 2
नसीब होंगी उसे कामयाबियाँ 'नजमी'
ख़ुशी के साथ जो हर इम्तिहाँ से गुज़रेगा
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डरेंगे लोग वफ़ा के ख़याल से 'नज़मी'
मिरी वफ़ाओं का जिस दिन सिला मिलेगा मुझे
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