उपनाम : ''निसार''
मूल नाम : निसार हुसैन
जन्म : 01 Mar 1914 | इटावा, उत्तर प्रदेश
निधन : 06 May 1974
निसार साहब जिस शैली में लिखते हैं, वहां न उर्दू हिन्दी की एक शैली है, न हिन्दी उर्दू की। दोनों शैलियां घुल-मिल कर एक हो जाती हैं। खड़ी बोली की इस लोकप्रिय शैली के सबसे बड़े उस्ताद नज़ीर अकबराबादी थे जिनका नाम हिन्दी उर्दू दोनों शैलियों के साहित्य के इतिहास में आता है। प्रगतिशील साहित्य के गौरवशाली दिनों में वामिक जौनपुरी, कैफी आज़मी आदि कवियों ने इस शैली में रचनाएं की थीं। इधर जोश मलीहाबादी ने कुछ गीत इस शैली में लिखे हैं। निसार साहब ने इस शैली में बड़ी सफल रचनाएं की हैं। उनकी कविता राष्ट्र्रीयता के रंग में रंगी हुई है। ज़बान की सफाई के साथ उनके भाव हृदय पर गहरा असर करते हैं। नयी हिन्दी कविता में जहां अहंवाद पर ज़ोर है, निसार साहब बाहर की दुनिया सधी निगाह से देखते-परखते हैं। इनकी कविता में आस्था का स्वर साफ़ सुना जा सकता है। भारत की जनता बहुत सी मुसीबतों का सामना करने पर भी भीतर से टूटी नहीं, न वे कवि टूट सकते हैं जो देश की जनता के साथ हैं। निसार साहब ऐसे ही कवि हैं। उनकी रचनाओं में एक तरह का लोक रस है जो मुझे बहुत पसंद है। उन्होंने अपने संग्रह का नाम “धरती मेरे प्यार की“ बहुत सार्थक रखा है। मुझे विश्वास है कि कविता प्रेमी इस संग्रह को पाकर मेरी ही तरह प्रसन्न होंगे।