निवेश साहू 1 नवंबर 1994 को दतिया, मध्य प्रदेश में पैदा हुए। एक उभरते हुए नौजवान उर्दू शायर हैं, जो अच्छी ग़ज़लें कहने का हुनर रखते हैं, हालाँकि वो कभी-कभार अपनी तख़लीक़ी सलाहियतों को नज़्मों में भी ढालते हैं जो मुख़्तलिफ़ मौज़ूआत पर मबनी होती हैं।
उनकी तहरीरें अक्सर इंसान की अंदरूनी टूटन-बिखरन को ज़ाहिर करती हैं, जिनमें दुनिया के बारे में गहरी समझ भी होती है। उनके शेर मुख़्तलिफ़ रिसालों और अदबी प्लेटफ़ार्म्ज़ पर शाए हो चुके हैं, जिनमें रेख़्ता का शेरी-मजमुआ “क़ाफ़िला-ए-नौ-बहार” भी शामिल है।
निवेश साहू की ग़ज़लें रिवायत और जदीद निकात को यकजा करती हैं, जो मोहब्बत, दुख और अंदरूनी कश्मकश को उजागर करती हैं। उनकी सादा मगर ताक़तवर ज़बान गहरी संजीदगी को उजागर करती है, जिससे उनकी शायरी न सिर्फ़ दिल को महसूस होती है बल्कि ज़ेहन पर भी गहरा असर छोड़ती है। नफ़ासत और गहराई के साथ, निवेश की शायरी ज़ाती और हमा-जेहती सतह पर गूँजती है।