1965 | नोएडा, भारत
अग्रणी उत्तर-आधुनिक शायर, ऑल इंडिया रेडियो से संबंधित।
एक दिन दोनों ने अपनी हार मानी एक साथ
एक दिन जिस से झगड़ते थे उसी के हो गए
ज़रा ये हाथ मेरे हाथ में दो
मैं अपनी दोस्ती से थक चुका हूँ
रेल देखी है कभी सीने पे चलने वाली
याद तो होंगे तुझे हाथ हिलाते हुए हम
मेरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
ईद हो जाए अगर ईद-मुबारक कह दो
कुछ न था मेरे पास खोने को
तुम मिले हो तो डर गया हूँ मैं
अजनबी साअतों के दरमियान
1997
अपने कहे किनारे
2013
Azadari-e-Hazrat Imam Husain
Ek Aafaqi Tahreek
चुप रहना अय्यारी है
2019
फ्रीज़र में रखी शाम
2004
जलता शिकारा ढू़ढने में
2003
Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online