नूर बिजनौरी
ग़ज़ल 20
अशआर 1
एक परिंदा चीख़ रहा है मस्जिद के मीनारे पर
दूर कहीं गंगा के किनारे आस का सूरज ढलता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere