नुसरत लखनवी
लखनऊ में आबाद कश्मीरी पंडितों में से थे। पहले जुरअत के शागिर्द थे और उनके बा’द शाह नसीर को कलाम दिखाने लगे। मुसहफ़ी ने अपने तजि़्करे ‘रियाजुल फ़ुसहा’ में लिखा है कि नुसरत नौजवान शाइ’रों में बहुत नुमायाँ थे और लाला मोती लाल के मुशाइ’रों में पाबंदी से शिरकत करते थे।