उबैदुल्लाह ख़ाँ मुब्तला के शेर
ख़ुदा आख़िर करेगा ख़ुश मिरा दिल
मुझे अपने तवक्कुल की क़सम है
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सोहबत न रख अग़्यार सूँ बेज़ार मत कर यार कूँ
जाता रहेगा हाथ सूँ उस की निगहबानी करो
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रास्ती से तुझ कूँ करना है निबाह
हाथ जो पकड़ा मिरा दहना सजन
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