प्रकाश फ़िक्री के शेर
यूँ तो अपनों सा कुछ नहीं इस में
फिर भी ग़ैरों से वो अलग सा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा
आँखों में कोई ख़्वाब पिरोने नहीं देता
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जिधर देखो लहू बिखरा हुआ है
निशाना कौन गोली का बना है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुझे तो यूँ भी इसी राह से गुज़रना था
दिल-ए-तबाह का कुछ तो इलाज करना था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुर्दा पड़े थे लोग घरों की पनाह में
दरिया वफ़ूर-ए-ग़ैज़ से बिफरा था चार सू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड