पाशा रहमान के शेर
वो एक शख़्स जो महफ़िल में बोलता था बहुत
सुना है अहल-ए-नज़र से वो खोखला था बहुत
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere