पीयूष अवस्थी
ग़ज़ल 8
अशआर 1
हज़ार बार हवाओं से दुश्मनी होगी
बस एक बार चराग़ों से दोस्ती के लिए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere