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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Praveen Sharma Shajar's Photo'

प्रवीण शर्मा शजर

नोएडा, भारत

प्रवीण शर्मा शजर के शेर

मिरे ख़त को अगर पढ़ना ज़रा सा ग़ौर से पढ़ना

मिरे ख़त में शिकायत के 'अलावा भी बहुत कुछ है

ख़ुदा का शुक्र परेशानियाँ मिलीं हम को

वगरना बच्चे ही रहते बड़े हो पाते

माना कि रात तारों को गिनना 'अजीब है

लेकिन किसी को नींद आए तो क्या करे

मुझ से कैसे निभाओगी बोलो

मेरे हिस्से में जाएदाद नहीं

देखते हैं कि मोहब्बत में तरक़्क़ी क्या हो

इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है

अगर तोड़ता बैसाखियाँ हमारी समय

हम अपने पैरों पे शायद खड़े हो पाते

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