Qateel Shifai's Photo'

क़तील शिफ़ाई

1919 - 2001 | लाहौर, पाकिस्तान

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

क़तील शिफ़ाई

ग़ज़ल 117

नज़्म 29

अशआर 75

हमें भी नींद जाएगी हम भी सो ही जाएँगे

अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ

जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ

जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं

आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए

मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना

जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना

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चलो अच्छा हुआ काम गई दीवानगी अपनी

वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

हास्य 3

 

क़ितआ 11

रुबाई 7

क़िस्सा 6

पुस्तकें 42

चित्र शायरी 25

वीडियो 54

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

क़तील शिफ़ाई

Qatiil Shifai reading in a mushaira

Qatiil Shifai reading in a mushaira क़तील शिफ़ाई

Qatil shifaii at mushaira

क़तील शिफ़ाई

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

क़तील शिफ़ाई

आओ कोई तफ़रीह का सामान किया जाए

क़तील शिफ़ाई

ये मो'जिज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए मुझे

क़तील शिफ़ाई

रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में

क़तील शिफ़ाई

ऑडियो 13

اپنے ہاتھوں کی لکیروں میں سجا لے مجھ کو

सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

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