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Qateel Shifai's Photo'

क़तील शिफ़ाई

1919 - 2001 | लाहौर, पाकिस्तान

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/अपनी गज़ल ‘गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है’ के लिए प्रसिद्ध

क़तील शिफ़ाई के ऑडियो

ग़ज़ल

اپنے ہاتھوں کی لکیروں میں سجا لے مجھ کو

फ़हद हुसैन

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

नोमान शौक़

क्या जाने किस ख़ुमार में किस जोश में गिरा

नोमान शौक़

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं

नोमान शौक़

तड़पती हैं तमन्नाएँ किसी आराम से पहले

नोमान शौक़

दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं

नोमान शौक़

परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ

नोमान शौक़

मंज़िल जो मैं ने पाई तो शश्दर भी मैं ही था

नोमान शौक़

विसाल की सरहदों तक आ कर जमाल तेरा पलट गया है

नोमान शौक़

शायद मिरे बदन की रुस्वाई चाहता है

नोमान शौक़

सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं

नोमान शौक़

सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं

जगजीत सिंह

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ

आतिर अली सय्यद

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