ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हम
गहरे समुंदरों में सफ़र कर रहे हैं हम
रईस अमरोहवी, सय्यद मोहम्मद मेहदी, अच्छन (1914-1988)पारंपरिक शब्दावली में नएपनकारंग मिलाने वाले शाइरों में शामिल। ज़्यादातर नज़्में, नौहे और मर्सिये लिखे। दैनिक, ‘जंग’कराची में लगातार 40 साल तक रोज़ानाएक क़ता’लिखते रहे। मनोविज्ञान, अध्यात्मसे ले कर भूत-प्रेत तक पर 30 से ज़ियादाकिताबें लिखीं। अमरोहा, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) में जन्म। आज़ादी के बाद कराची चले गए। कई अख़बारों और पत्रिकाओं के संपादनसे जुड़ेरहे।
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