रम्ज़ अज़ीमाबादी
ग़ज़ल 21
अशआर 1
है समुंदर सामने प्यासे भी हैं पानी भी है
तिश्नगी कैसे बुझाएँ ये परेशानी भी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere